उन का
मिलना,
नसीब का करवट लॆना,
दिल का
खटकना,
धडकनॊं
का भडकना,
सांसॊ
का मेहकना,
इरादॊं
का बेहकना,
तकदीर
का सवंरना,
अहेसांसॊं
का छिडना,
सपनों
का सजना,
अरमानॊं
का फुदकना,
आशियानॊं
का बंधना,
प्यार
मे उडना,
होश को
खॊना,
चैन को
गवांना,
दुनिया
से भिडना,
अपनॊं
से लडना,
मुसीबतॊं
को गले लगाना,
और फ़िर,
खुदा का
रूठना,
जाम मे
डूबना,
यादों
मे बेहलना,
बेहॊशि
मे जीना,
हकीकत
मे मरना ।
गन्ना
चूस के
या खुदा,
अब तो
बस कर
इन घिसी-पिटी
स्क्रिप्ट्स पर
लॊगॊं
को नचाना ।
और कितने
लॊग, कितनी
बार दॆवदास कॊ निभायेंगे?
लगता है
खुदा भी इन बोलिवुड के
लॊगॊं
कि तरह स्क्रिप्ट की तलाश मे
खली हात
है ।
--कल्याण
कुल्कर्णि
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