एक पार्टी जो देश के आजादी के 67 साल में से 60 से ज्यादा साल सत्ता में रही और उस में भी एक ही खानदान के लोग कुछ गुलामों के सहारे इस देश को चलाते रहे, इस देश के स्वाभिमान के धज्जिया उड़ाते रहे, इस देश को जाती के आग में झुलस कर अपनी मतलब कि रोटियां सेकते रहे, इन के मनसूबों के लिए आम आदमी ऊर्वरक बनता रहा और देश राख होता रहा । पिछले दस सालों में तो हर क्षेत्र में यह सरकार नाकामियाब साबित हुई । जमीन से ले कर आसमान तक सब कुछ बेच खाया, देश का सम्मान, देश का जोश, देश कि संपत्ति, देश कि सुरक्षा, युवावों का भविष्य, देश का जल, जंगल, नैसर्गिक सम्पदाएँ, सब पर गैर कानूनी तरीके से एकाधिकार स्थापित किया । जब उस पार्टी को इस देश से भगाने के लिए सारे देश में एक मानसिकता बन रही है, तब कुछ लोगों कि बातें सुनकर आश्चर्य और दुःख होता है । अब मेरे जैसे लोगों कि व्यथा सुन कर बहुत से लोगों को हैरानी होती होगी ।
आज जब पुरे देश में खा-अँगरेज़ मुक्त भारत कि बातें व सोच चल रही है, तब कुछ लोग कहते हैं कि "यह पार्टी ऐसे ही इस देश से जानेवाली नहीं है । ख-अंग्रेज़ शायद आज कुछ कमजोर होगयी हो अपने नीतियों व भ्रष्टाचार के वजह से, पर वह वापस आएगी । वे इस देश को ऐसे ही नहीं छोड़नेवाले । आज पप्पू उतना होशियार नहीं है, कल कुछ दिनों में या अगले चुनाव तक उसे राजनीति के तौर तरीकों को सीखकर आनी चाहिए । तब वह कामियाब ज़रूर होगा ।"
ऐसी बातें कोई अनपढ़ लोग नहीं बल्कि पढ़े लिखे लोग जो राजनीति व कुनीति का भेद भली-भाति जानते है वे यह सब कहते हैं ।
तब मेरे जेहन में कई सवाल उठते हैं । क्या उस पार्टी का भारत के राजनीति में बना रहना इतना जरूरी है? क्या हम कभी वंशवाद को राजनीति से दूर कर पाएंगे? क्या लोगों को पता भी है के इन के शासन के चलते हम ने क्या खोया क्या पाया? क्या उस लूट के पैसे का हमें कोई अंदाजा भी है? क्या उस लूट को हम खुद ही भूल ने कि कोशिश कर रहे हैं? क्या हमें पता भी है के पिछले साठ साल का गुजरा वक़्त और लुटी हुई संपत्ति हमारे देश में रहती तो हम क्या कुछ करसकते थे? क्या 125 करोड़ के इस देश में हम एक, दो, कुछ (545) ईमानदार, राष्ट्रवादी, प्रगति रत लोगों को ढूँढ नहीं सकते? क्या हमने हार मान ली है, या हम इसे देश कि दुर्दशा या हमारी किसमत कहकर निराशा में ऐसे ही लुटेरों से शासित होते रहेंगे? या इस मानसिक गुलामी कि सोच से निकल, उस पार्टी को व उस के खानदानी जड़ों को उखाड़ फेकेंगे? हमें एकजुट होकर इसे हकीकत बनानी होगी, वर्ना देश नहीं बचेगा और इस आजाद देश में ही हैम कैद होजाएंगे ।
-- अभिनव भारत
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