लॊग पूछते हैं की तनहाईयॊं मे कैसे जीते हॊ
हम ने कहा, ऎ दॊस्त,
अरमानॊं कॊ आंच लगाकर, उजालॊं कॊ बुला लिया है ।
दर्द कॆ घूटॊं कॊ शायरी मे सुनाकर मेहफ़िल कॊ बुला
लिया है ।
और
अपने आसुऒं कॊ प्यालॊं का जाम बनाकर मदहॊशी कॊ जीने
का अंदाज़ बनालिया है ।
--कल्याण कुल्कर्णि
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