दिल कॆ कोनों मे,
अहेसासों कॆ पन्नॊं मे,
सासॊं कॆ बंदिश मे,
होटॊं कॆ नगमॊं मे,
पलकॊं कॆ चादर मे,
खयालॊं कॆ आंगन मे,
सपनॊं की दुनिया मे,
रात कॆ तनहायियॊं मे,
दिन कॆ भीड मे,
तारॊं कॆ गर्दिश मे,
सूरज की आजमाइश मे,
चांद की चांदनी मे,
खुशियॊं के बहार मे,
गमॊं के पतझड मे,
अपनॊं कॆ मेहफ़िल मे,
गैरॊं कॆ आतिश मे,
ज़िंदगी कॆ राहॊं मे,
किस्मत कॆ थपॆडॊं मे,
बीती हुयि यादॊं मे,
कल कॆ आशियानॊं मे,
खुदा कॆ नॆमतॊं मे,
खुद की परछाई मे,
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नजाने कहां-कहां
जिसे ढूंडा वोह तॊ मिली
अजंता की गुफ़ावॊं मे ।
जिसे न खुद की कोई खबर
न औरॊं कॆ अहेसासॊं का अंदाज़
बस एक प्यारी सी मूरत है वोह ।
-- कल्याण कुल्कर्णि
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