कई लोग पूछते हैं की इन आंदोलनों से होगा क्या
न सरकार समझनेवाली न जनता बदलनेवाली है ||
यह युद्ध नहीं है सामाजिक परिवर्तन का
यह संग्राम है खुद से खुद का, तो खुद को ललकार के तो देखो |
अरे भईया स्वार्थ की शीतलता को छोड़
बस ऐसी एकता का मशाल लिए कुछ दूर चलके तो देखो |
लोहा क्या पत्थर भी पिघलेंगे
देश स्वाभिमान की ऐसी आग लगा के तो देखो |
हमने खूब लगाये नारे बापू और भगत सिंह के
चलो एक बार उस मगरूर नशे को जी कर तो देखो |
भेडिये हैं बहोत समाज में
बस एक शेर की दहाड़ लगाकर तो देखो |
इन काले बादलों में सूरज भी अपने उजालों को समेट ले पर
एक अपनी दिल की उम्मीदों की दिया को बचाकर तो देखो |
-- के. कल्याण
न सरकार समझनेवाली न जनता बदलनेवाली है ||
यह युद्ध नहीं है सामाजिक परिवर्तन का
यह संग्राम है खुद से खुद का, तो खुद को ललकार के तो देखो |
अरे भईया स्वार्थ की शीतलता को छोड़
बस ऐसी एकता का मशाल लिए कुछ दूर चलके तो देखो |
लोहा क्या पत्थर भी पिघलेंगे
देश स्वाभिमान की ऐसी आग लगा के तो देखो |
हमने खूब लगाये नारे बापू और भगत सिंह के
चलो एक बार उस मगरूर नशे को जी कर तो देखो |
भेडिये हैं बहोत समाज में
बस एक शेर की दहाड़ लगाकर तो देखो |
इन काले बादलों में सूरज भी अपने उजालों को समेट ले पर
एक अपनी दिल की उम्मीदों की दिया को बचाकर तो देखो |
-- के. कल्याण
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